एक शोख महक सी आई है
उन यादो में फिर खोया हु
पर दिल में तो तन्हाई है
साँसों से नर्मल तेरी खुशबू
मेरे रोम रोम में समाई है
उन यादो में फिर खोया हु
पर दिल में तो तन्हाई है
तेरे अधरों की जो लाली है
उगता सूरज तेरी परछाई है
उन यादो में फिर खोया हु
पर दिल में तो तन्हाई है
बारिश की बूंदे फिर थमने लगी
जैसे तू फिर शरमाई है
उन यादो में फिर खोया हु
पर दिल में तो तन्हाई है
इन्द्र धनुष अब बना है नभ में
पर चमक तेरी चुराई है
उन यादो में फिर खोया हु
पर दिल में तो तन्हाई है
तुझसे मिलने को उत्सुक हु
समय ने फिर कथा दोहराई है
उन यादो में फिर खोया हु
पर दिल में तो तन्हाई है
GOOD PHILOSOPHY AT A VERY SMALL AGE, KEEP IT UP DUDE U COUDA BE A WRITER IF U WANNA BE
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