बिखरी यादो को संजोता हूँ
रात के अंधियारे में
उन्हें अपने सिरहाने रख कर सोता हूँ
कभी कभी अपने सपनों से लौटता हूँ
तो उनसे पूछता हूँ .....
ये तृष्णा दी तुने सिर्फ मुझे
या तुम सबके अरमानो को
पानी पानी करते हो..
क्या सभी तुमसे यही सवाल करते हैं
जो अक्सर मैं किया करता हूँ
क्या सभी डरते हैं
तुम्हारी आजमाइश से
या तुम्हारा कड़वा घूँट
सिर्फ मैं ही पिया करता हूँ...
क्या सभी जल जाते हैं
जलती शमा क़ि
एक छोटी सी लौ क लिए
या हर रात वो परवाना
मैं ही हुआ करता हूँ..
क्या सभी रखते हैं
दिल में एक कोना तुम्हारे लिए
कभी हंसते कभी रोते
या फिर हर पल
वो बावरा मैं ही हुआ करता हूँ .....
अमेय
wah wah janab
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