Sunday, February 21, 2010

DHOKHE BAAJ PADOSI

एक वो है जो
प्यार से पीठ पर घाव करते है
और एक हम है जो
उनके दिया घावो को प्यार करते है

पहले तो
अमन के नाम पर दुश्मन को घुसपैठ करते है
और बाद में
अपनों को बचने की जुगत लगते है

सीमा की सुरक्षा के नाम पर
जवानों की बलि चढ़ जाती है
और स्वर्ग रूपी कश्मीर घाटियों में
खून की नदी बह जाती है

आधी शताब्दी से चाहा है हमने सुख चैन
पर अब लगता है
जवानों की सीमा पर पक्की हो गयी है रैन

क्यों न हम एक बार में ही जेट ले साड़ी बाजी...
ताकि उन्हें रोज़ रोज़ न करना पड़े
अपने आला-कमान को राज़ी.............

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